जानें कैसे हमारे भोजन का पाचन होता है – ?

क्या आपको पता है कि जो खाना हम खाते हैं उसका हमारे पेट में क्या होता है? नहीं पता न, तो आइये जानते हैं-

 

जैसा कि हम तरह तरह के भोजन करते हैं, जूस, पानी आदि पीते हैं तो वे आखिर हमारे शरीर को कैसे पोषण देते हैं और हमारा शरीर कैसे उनसे अपने जरुरत की सारी चीजें absorve करता है, इसके लिए हम आज के इस article में आपको पाचन तंत्र यानि Digestive System को बड़े ही सरल तरीके से explain करेंगे । तो चलिये बिना देरी के शुरू करते हैं।

 

हमारा शरीर, खास तन्त्रो जैसे श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, परिसंचरन तंत्र , उत्सर्जन तंत्र आदि से चलता है, जिसमें भोजन के लिए पाचन तंत्र की आवश्यकता होती है। जो भोजन हम करते हैं उनकी रचना अत्यंत जटिल होती है, इसके लिए पहले हम भोजन को अपने दांतो से चबाकर छोटे छोटे टुकड़ो में तोड़ लेते हैं, इस दौरान जब हम दांतो से भोजन को तोड़ रहे होते हैं तो हमारे मुँह से लाला ग्रंथि से लार रस निकलता है जो कि अम्लीय होता है, जिसको हमारी जीभ स्वतः भोजन को लार के साथ मिला देती है। लार का वैज्ञानिक नाम टायलिन होता है। बता दे कि अम्ल बहुत शक्तिशाली मिश्रण होता है जिससे कुछ भी गल सकता है। बशर्ते उसका PH मान ज्यादा होना चाहिए। इसके बाद भोजन, हमारे अमाशय में ग्रसिका नली के द्वारा आ जाता है। अमाशय को ही आम बोलचाल कि भाषा में हम पेट बोलते है।

Basically, अमाशय एक गैस्टिक ग्रंथि होता है। जिससे भोजन को पचाने के लिए अन्य पाचक रस जैसे हाईड्रोक्लोरिक अम्ल (H C L) , प्रोटीन पाचक एंजाइम – पेप्सिन तथा रेनिन आदि निकलते है,इनसे भोजन के अलग अलग पोषण वाले पदार्थ जैसे प्रोटीन ,विटामिन आदि सब अलग अलग टूट जाते हैं। अमाशय में भोजन लगभग भोजन करने के चार घंटो तक रहता है, जहां यकृत (Liver) भी अपने पित्त रस का श्राव करता है, जिससे भोजन के वसा आदि को पचाने में सहायता होती है।

अब भोजन अमाशय से छोटी आंत में आता है, जो कि आहार नाल का सबसे बड़ा भाग होता है, यहां प्रोटीन तथा वसा का पूर्ण पाचन होता है। इसके लिए यह यकृत और अग्न्याशय से श्राव प्राप्त करता है। अमाशय से आने वाला भोजन अम्लीय होता है जिसको अग्न्याशयिक एंजाइमों कि क्रिया के लिए क्षारीय बनाया जाता है, जो कि पित्त रस करता है। यहां अग्न्याशयिक रसो द्वारा विभिन्न प्रकार के पोषण पदार्थो को पाचित करने के बाद उसको आत्र कि भित्ति द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है , यह सभी पोषक पदार्थो का रस होता है जिसको रुधिर वाहिकाओं (रक्त) द्वारा उन्हें शरीर के सभी कोशिकाओं तक पहुंचा दिया जाता है। और छोटी आंत से बचे अपाचित भोजन को बड़ी आंत में भेज दिया जाता है, जो कि मल- मूत्र के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।

 

इस प्रकार हमारे पाचन की क्रिया पूरी हो जाती है और आवश्यक पदार्थ रक्त द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं और अनावश्यक चीजें बाहर निकाल दी जाती है।

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